No comments on this, read it and think how the writer may have been feeling when he wrote this poem:
सरफरोशी की तम्मान्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दुस्तान
देखते की मुल्क सारा क्या टशन क्या थ्रिल में है
आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए
अपनी आज़ादी तो भैया लौंडिया के तिल में है
आज के जलसों में बिस्मिल एक गूंगा गा रहा
और बहरों का वो रेला नाचता महफिल में है
हाथ की खादी बनाने का ज़माना लद गया
आज तो चड्डी भी सिलती इन्ग्लिशों की मिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
सरफरोशी की तम्मान्ना अब हमारे दिल में है...
5 months ago
2 comments:
is it something from Piyush Mishra? Or is it your composition?
Wonderful , thats what it is!!!
Of course its Mr. Mishra :)
Post a Comment