Only once in a very long time comes a piece of poetry which makes you sit up and take notice, and then makes unsettled and restless as well. Here is one such song, a piece of sheer poetry which is more like a dragon breathing fire through its flaring nosetrills.
This song his heavy in tatsam hindi and is from the hindi movie Gulaal (an equally disturbing masterpiece). However I will have serious objections if someone says this is a Bollywood product. A typical bollywood song is more with words like dil, dhadkan, saajan, ishq, piya etc etc . This song is a warcry, a challenge thrown by the Indian Cinema!
Looking at the great battle of Indian democracy, how true it feels : Aarambh hai Prachand!
Enjoy a masterpiece by a gifted poet , Piyush Mishra....
आरम्भ है प्रचन्ड बोल मस्तको के झुँड
आज जँग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या कि जान का हो दान आज
इक धनुष के बाण पे उतार दो
आज जँग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या कि जान का हो दान आज
इक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचन्ड ....
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है
विश्व की पुकार है ये भागवत का सार है
युद्ध ही वीर का प्रमाण है
कौरवो की भीड हो या, पान्डवो का नीड हो
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है
विश्व की पुकार है ये भागवत का सार है
युद्ध ही वीर का प्रमाण है
कौरवो की भीड हो या, पान्डवो का नीड हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान है...
जीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं
तो मौत से भी क्यों डरें
जीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं
तो मौत से भी क्यों डरें
ये जाके आसमान में दहाड़ दो !
आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की आन का हो दान
आज ईक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड ...
आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की आन का हो दान
आज ईक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड ...
हो दया का भाव
या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव
तुम ये सोच लो ...
या कि पूरे भाल पर
या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव
तुम ये सोच लो ...
या कि पूरे भाल पर
जला रहे विजय का
लाल लाल ये गुलाल
तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या
मृदंग केसरी हो या
कि केसरी हो ताल
तुम ये सोच लो
लाल लाल ये गुलाल
तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या
मृदंग केसरी हो या
कि केसरी हो ताल
तुम ये सोच लो
जिस कवि कि कल्पना में
ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आ तुम नकार दो
भीगती रगों में आज
ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आ तुम नकार दो
भीगती रगों में आज
फूलती नसों में आज
आग कि लपट को तुम उतार दो
आरम्भ है प्रचंड ....
आग कि लपट को तुम उतार दो
आरम्भ है प्रचंड ....
To get the feel you can listen to the song here : http://www.youtube.com/watch?v=S3yuxGcAghI&feature=related
If you haven't watched Gulaal yet , watch it !
Good cinema should be encouraged.
8 comments:
I absolutely agree! The song is like a war cry, and very suited to present day situations...
Gulal was good but left me depressed :(
I agree good cinema should be encouraged. And one thing I loved in Gulal was the lyrics...checking your You Tube link, maybe I'll get the other Gulal songs too.
have not seen Gulala as yet..will def do so Poonam another fellow blogger and a frriend had recommneded it highly sometime back and now you too so I am def going to watch it..
loved the song have watched it and loved it...I agree the lyrics are powerful as hell!
reminds me of another fiery poet of yore..cant quite remember which one...Dinkar?or ...cant remember...
PS:- on anotyer note about your question...while the follow me option doesnt exist on WP as far as I know..yet you can still add the new URL to the follow list as you would for any other blog...you would still get updates just as you do for my old blog:))
Yes the other poet was Dinkar, who wrote lines like :
दो राह समय के रथ का घरघर नाद सुनो
सिंहासन खाली करो की जनता आती है !
Incidentally, in the movie there is an ode to Dinkar, a full recital of Dinkar's poems from Rashmi Rathi ...
दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर उसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम।
हम वही खुशी से खाएँगे,
परिजन पर असि न उठाएँगे।”
दुर्योंधन वह भी दे न सका,
आशीष समाज की ले न सका।
उलटा हरि को बाँधने चला।
जो था असाध्य साधने चला
man...movies like dis comes in a while...n I completly supprt u on d fact dat dis movie certainly nt belongs to bollywood!!
hd seen dis movie trice ...bt still flt d same adrinalin pumpin up!!!
Wow..
Aaj office aate samay poore raste bhar yahi geet "Repeat mode" me sunta aaya hun.. :)
aaj bahut dino bad thodi fursat mili to aapke purane post jo nahi padh paya tha us par najar ghuma raha tha aur ye geet dikh gaya..
bas din bana diye aap.. :)
@PD
The song deserves some repeat modes, even I listen it like that :P
I was awed by the song, and its tone. Piyush has done wonders, He lived the role rather than merely playing it.
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