सरफ़रोशी की तमन्ना - A tribute to Ram Prasad Bismil on his Birth Anniversary

Saturday, June 14, 2008


सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचः ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिक़ोँ का आज जमघट कूचः-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

है लिए हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तय्यार हैं सीना लिये अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ, जिन में हो जुनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोलः सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्क़िलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,

जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लढ़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है.

- Bismil Azimabadi

This is a tribute to Amar Shaheed Sri Ram Prasad Bismil on his Birth Anniversary. Inqualab Zindabad !



PS : Usually we are not aware ... A few days back , Rediff organized a campaign on its site for people to wish Lallu on his birthday ... Ram Prasad Bismil is not salable so he is not wanted by them. So it's upto us, the people, to remember those who gave their lives so that we can live with dignity.

8 comments:

Gagan said...

all i can say is

inqalaab zindabaad !!

ARZ KIYA HAI said...

im glad someone remember the shaheed :) i wasnt aware it was his birthday

Eternal Rebel said...

Yes usually we are not aware ... A few days back , Rediff organized a campaign on its site for people to wish Lallu on his birthday ... Ram Prasad Bismil is not salable so he is not wanted by them

Surendran said...

great job dude.. though i could not make much sense out of the poem i can understand the feelings... btw it reminded me of hail the rebel campaign we once did on orkut on account of bagat singh's b'day.. u remember that ?

Eternal Rebel said...

Yes Suren I do ... the english translation of this poem is available but will rob the poem the beauty of Urdu Shayari...

Ilyas Kazi said...

Ziski zabaan urdu ki tarah....

Urdu is the only language in the world stands second after Arabic which has all words to state and describe in a much respect to speak and listen. Easy to pronounce and understand...

Eternal Rebel said...

@Ilyas


agreed to some extent ... but there is nothing exclusive about it or arabic

Rohan Nigam said...

we get so busy with our lives that we forget those who made this life possible for us with their sacrifices.Nice blog.