आखिरी प्रेम पत्र

Wednesday, October 19, 2011

Excuse me if this is overly kiddish, when I wrote this, was just 15 years old.

To Neha once again, from an old notebook, a letter which was never sent; just digitalizing it, afterall this is my last loveletter...

Finally one post in my blog for myself.

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Please पढने से पहले फाड़ना मत! हर बार मैं यही कहता हूँ की ये मेरी आखिरी चिट्ठी है लेकिन क्या करूँ, कंट्रोल ही नहीं होता. वैसे इसे तुम मेरा confession भी समझ सकती हो. बहुत कुछ ऐसा है जो मैं clarify करना चाहता था लेकिन अब तुम्हारा सामना करने की हिम्मत खो चूका हूँ. अब मुझे तुमसे कोई जवाब भी नहीं चाहिए. बस मेरी situation को समझने की कोशिश करना. 

तुम मुझे भले ही सड़क छाप रोड रोमिओ समझो लेकिन  अगर मेरा यकीन मानो तो 21  मई 1997 से पहले मैं इन सब लफड़ों से दूर ही रहता था. मैं वैसा भी नहीं हूँ जो मुश्किल से दो मिनट की बहुत ही फोर्मल बातचित  को कुछ और समझ लूँ. तुम्हारी और मेरी ऊस मुलाकात के दो दिन पहले मैंने तुममे कुछ देखा था, वो कुछ क्या था मैं न कभी समझ पाया और न ही कभी समझ पाऊंगा. अब तुम ये उम्मीद तो मत रखना कि मैं तुम्हे कभी भूल पाऊंगा. तुम मेरा पहला और आखिरी पागलपन हो... 

मैंने तुम्हारे साथ जिस तरीके से behave किया है उसके लिए मैं अपने आप को कभी नहीं माफ़ कर सकूँगा. लेकिन मेरा इरादा कभी भी बुरा नहीं था. मैं तुम्हे सिर्फ प्यार ही नहीं करता था, लगभग पूजा करता था. Angel  थी तुम मेरी, बेदाग़ और innocent. काश किसी और के through मुझे "समझाने" कि जगह तुम खुद एक आखिरी बार बात कर लेती. 

कभी कभी जब अपने बारे में सोचता हूँ तो बड़ा अजीब सा लगता है. दो साल पहले मैं क्या था और आज क्या हो गया हूँ... लेकिन मुझे सुधरने का मौका ही किसने दिया? तुम्हारी एक हाँ से मेरी ज़िन्दगी बदल जाती, वापिस लौट सकता था... अपनी सारी ज़िन्दगी को किसी की एक हाँ या ना पे छोड़ देना बहुत बड़ा दांव होता है और मैं ये हार चूका हूँ. भगवान् ना करे कि तुम्हे कभी पता चले कि ज़िन्दगी कि सबसे बड़ी बाज़ी हारने का अहसास कैसा होता है.

लगता है मेरा confession जरुरत से ज्यादा लम्बा हो गया. अगर तुमने इसे पढ़ा है तो thanks a lot ! शायद तुम दिल्ली जा रही हो, मैं भी बहुत दूर जा रहा हूँ. औरों कि तरह कभी IIT कि फ़िक्र नहीं की अब नयी शुरुआत करनी है. बहुत परेशान किया है मैंने, हो सके तो माफ़ कर देना. So stay happy. And believe me, this time its really my last letter. I love you.. 

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Whoa ! It feels weird to read this after 12 years! Wonder where she is, wonder where those days have gone when love used to be innocent.. and complicated.



6 comments:

Anonymous said...

:D does she know you have a blog and this is published now :)

I want to laugh :D awwwwwww

Krishna said...

Awesome...

Sourabh K Rao said...

wo pehla pyaar chahe lakh bhulaye sala ye dil kabhi usse bhulta nahi...

beautiful:) Hope Neha reads it :)

Eternal Rebel said...

@Chintan, Sourabh : As far as I know, she is no more ..

Rupesh Ranjan said...

Bachpan ka pyar...bhula nahe jata!!

Unknown said...

Nasib se milta hai phaila pyar